'SIR को तुगलकी फरमान' कहना JDU सांसद गिरिधारी यादव को पड़ा महंगा, पार्टी ने थमाया नोटिस

बिहार में मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी पार्टियों में असंतोष है, बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी जदयू और भाजपा के नेता भी इसे लेकर असंतोष जता चुके हैं. जदयू के सांसद गिरिधारी यादव ने बुधवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को “तुगलकी फरमान” कहा था. गुरुवार को जदयू ने अपने सांसद गिरिधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान द्वारा हस्ताक्षरित कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, “आप जानते हैं कि कुछ विपक्षी दल, अपने चुनावी नतीजों से निराश होकर, चुनाव आयोग को बदनाम करने के लिए, खासकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर, लगातार अभियान चला रहे हैं, जिसका एकमात्र उद्देश्य एक संवैधानिक संस्था के कामकाज पर जनता में संदेह पैदा करना है.”
जदयू ने जारी किया कारण बताओ नोटिस
पार्टी की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में कहा गया, “हमारी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), ने भारत में गठबंधन के दौरान और अब एनडीए गठबंधन के हिस्से के रूप में, लगातार चुनाव आयोग और ईवीएम के इस्तेमाल का समर्थन किया है.”
बयान में कहा गया है, “इस संदर्भ में, ऐसे संवेदनशील मामले पर आपकी सार्वजनिक टिप्पणियां, खासकर चुनावी वर्ष में, न केवल पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बनती हैं, बल्कि अनजाने में विपक्ष द्वारा लगाए गए निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों को विश्वसनीयता भी प्रदान करती हैं. “
इसमें कहा गया है, “जद(यू) आपके आचरण को अनुशासनहीनता मानता है और इस मामले में पार्टी की घोषित स्थिति के अनुरूप नहीं है. इसलिए आपसे इस नोटिस की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी करने का अनुरोध किया जाता है, अन्यथा आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है,”
जानें जदयू के सांसद ने क्या कहा था
बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी और भाजपा की सहयोगी जदयू के बांका से सांसद यादव ने संसद के बाहर कहा था, “चुनाव आयोग को कोई व्यावहारिक ज्ञान नहीं है. उसे न तो बिहार का इतिहास पता है और न ही भूगोल; उसे कुछ भी नहीं पता. “
सांसद ने कहा, “मुझे सारे दस्तावेज़ जुटाने में 10 दिन लग गए.” उन्होंने आगे बताया कि उनका बेटा अमेरिका में रहता है. उन्होंने कहा, “वह सिर्फ एक महीने में हस्ताक्षर कैसे कर देगा?” उन्होंने कहा, “यह (श्रीमान) हम पर जबरदस्ती थोपा गया है. यह चुनाव आयोग का तुगलकी फरमान है.
सांसद ने स्पष्ट किया था कि वह अपनी “निजी राय” दे रहे थे और “इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि उनकी पार्टी क्या कह रही है” यादव ने यह भी कहा था, “लोग नौकरशाही की बाधाओं और (श्रीमान के लिए) दस्तावेज़ प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में शिकायत कर रहे हैं. मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों ने मुझे बताया है कि कई जगहों पर अधिकारी रिश्वत मांग रहे हैं.”