गोमुख से गंगोत्री और काशी तक, गंगा बहती है श्रद्धा के संग

गंगा नदी का हमारे जीवन में धार्मिक रूप से काफी महत्व है. इसका उद्गम भागीरथी व अलकनंदा नदी मिलकर करती है. यह गोमुख से निकलकर गंगोत्री पहुंचती है. फिर यहां से हरिद्वार से होते हुए काशी और फिर आगे जाकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से आपके सारे पाप धुल जाते हैं. गंगा नदी का सबसे महत्वपूर्ण स्थान हरिद्वार को माना गया है.
हिंदू धर्म में अगर किसी की मौत होती है तो उसकी अस्थियां भी यहीं हरिद्वार में आकर बहाई जाती है. क्या आप जानते हैं कि गंगा नदी जितनी बड़ी है उतनी ही गहरी भी है. गंगोत्री से निकलने वाली इस नदी की लंबाई 2525 किलोमीटर है.लेकिन यह नदी सबसे ज्यादा गहरी कहां होती है. कई लोगों का मानना है कि ऋषिकेश तो कुछ का मानना है हरिद्वार में यह नदी सबसे ज्यादा गहरी होती है. इसके अलावा कई लोगों को ये भी लगता है कि काशी यानि बनारस में यह नदी सबसे ज्यादा गहरी होती है. लेकिन ये सभी जवाब गलत हैं.
गंगा नदी सबसे ज्यादा गहरी प्रयागराज में होती है. यहां गंगा नदी की गहराई इतनी अधिक है कि बड़े से बड़ा तैराक भी यहां तैरने से डरे. अगर कोई यहां डूब गया तो उसकी लाश कहां गई, यह पता लगा पाना भी मुश्किल हो जाता है. कई दफे तो लाश मिलती ही नहीं है.
दरअसल, गंगा नदी की औसत गहराई 33 मीटर है. औसत गहराई को कई जगहों की गहराइयों के आधार पर तय किया जाता है. जब गंगा प्रयागराज आती है, उस समय ये सबसे गहरी होती है. यहां गंगा की गहराई 33 मीटर है. ऐसे में प्रयागराज में गंगा में डुबकी लगाना हरिद्वार से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है.
हर साल डूबते हैं कई लोग
प्रयागराज में हर साल लाखों लोग अपने पाप धोने आते हैं. ज्यादातर जगहों पर, जहां गंगा बहती है, वहां लोगों की भीड़ लगी रहती है. लेकिन इसमें सबसे अधिक डूबने के केसेस प्रयागराज से आते हैं. इसकी वजह है गंगा की सबसे अधिक गहराई. गंगा नदी की सबसे पहली शाखा भागीरथी है.