मुंबई/ठाणे: मुंबई से सटे ठाणे के एक प्राइवेट स्कूल में पीरियड्स के दौरान लड़कियों के साथ स्कूल ऐसी बदसलूकी की, जिसे जानकर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर भी हैरान रह गई। छात्राओं के पैरेंट्स का कहना है कि स्कूल में न सिर्फ लड़कियों के कपड़े उतारे गए बल्कि दीवार पल लगे खून के धब्बे से मिलान के लिए उनका फिंगरप्रिंट भी लिया गया। रूपाली चाकणकर ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को छात्राओं की काउंसलिंग करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस ने बताया कि इस मामले में स्कूल की प्रिंसिपल, चार टीचर, दो ट्रस्टी और एक अटेंडेंट सहित आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस केस में गिरफ्तार पांच लोगों को कोर्ट ने 15 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। इस मामले मे सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

पैरेंट्स में भारी नाराजगी

पीरियड्स चेक करने के लिए स्कूल में छात्राओं के कपड़े उतारने पर उनके पैरेंट्स नाराज है। उन्होंने स्कूल प्रशासन के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि टायलेट में पानी की व्यवस्था नहीं है। इस कारण किसी लड़की ने हाथ में लगे खून को दीवार में लगा दिया होगा। इससे नाराज टीचरों ने टॉयलेट की दीवार पर लगे खून के धब्बों की तस्वीरें लीं। फिर इन तस्वीरों को स्क्रीन पर दिखाया गया और लड़कियों से जवाब मांगा गया। उन्होंने पीरियड्स वाली छात्राओं के फिंगरप्रिंट भी लिए ताकि उन्हें दीवार पर लगे निशानों से मिलाया जा सके।
 
लड़कियों को टॉर्चर करने का आरोप

पैरेंटस का कहना है कि स्कूल में पानी की कमी के साथ-साथ बार-बार बिजली भी कटती है। जब माता-पिता इन समस्याओं को उठाते हैं, तो प्रिंसिपल उनसे मिलने से इनकार कर देती हैं। एक छात्रा की मां ने बताया कि उनकी बेटी ने एहतियात के तौर पर सैनिटरी पैड पहना था क्योंकि उसकी पीरियड आने वाली थी। उसे भी उन लड़कियों के साथ खड़ा किया, जिन्हें पीरियड्स नहीं हो रहे थे। एक-एक करके अटेंडेंट ने टॉयलेट में उनकी जांच की। जब उसे पैड पहने हुए पाया गया, तो उस पर झूठ बोलने का आरोप लगाया गया। फिर उन्हों स्कूल बुलाया गया और उन्होंने शिकायत की कि मेरी बेटी झूठ बोल रही है।

शिक्षा विभाग को मिली खामियां

राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने भी जांच में पाया कि स्कूल ने सखी सावित्री कमेटी का गठन नहीं किया है। यह कमेटी स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है। स्कूल में इंटरनल कंप्लेन कमेटी भी नहीं है। महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने कहा कि यह नियमों का गंभीर उल्लंघन हैं। शिक्षा विभाग को स्कूल की मान्यता रद्द करने पर विचार करना चाहिए। इससे पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल में पढ़ रहे छात्रों को कोई शैक्षणिक नुकसान न हो। चाकणकर ने कहा कि ये लड़कियां एक संवेदनशील उम्र में हैं, जहां शिक्षकों को सहानुभूति दिखानी चाहिए। इसके बजाय स्कूल ने स्थिति को सबसे अनुचित तरीके से संभाला