फरीदाबाद के अर्जुन मंडल एक अनोखी कला में माहिर हैं. वे धान के दानों से खूबसूरत मूर्तियाँ बनाते हैं, जिनमें न तो किसी तरह का रंग इस्तेमाल होता है और न ही केमिकल. खास बात यह है कि ये मूर्तियाँ केवल मूंग के धागे से बाँधकर बनाई जाती हैं. इससे धान खुलता नहीं और इसकी प्राकृतिक सुंदरता बनी रहती है. यह कला पूरी तरह से प्राकृतिक है और पानी में भीगने के बाद भी मूर्तियों को कोई नुकसान नहीं होता.

अर्जुन मंडल मूल रूप से उड़ीसा के रहने वाले हैं और इस कला में निपुण हैं. उन्होंने बताया, मैं धान के दानों को एक-एक कर जोड़ता हूँ और धागे से कसकर बाँधता हूँ. इसमें किसी भी तरह का गोंद या केमिकल नहीं लगाया जाता. एक मूर्ति बनाने में चार से पाँच दिन का समय लगता है.

सरकारी सम्मान भी मिल चुका है
अर्जुन की इस अनोखी कला के कारण उन्हें सरकारी सम्मान भी मिल चुका है. उनके पिता को 2010 और 2014 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यह परंपरागत कला अर्जुन को विरासत में मिली है और वे इसे आगे बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे हैं.

17 कारीगर कर रहे हैं काम
अर्जुन के पास कुल 17 कारीगर हैं जो इस कला में निपुण हैं. वे भगवान की विभिन्न मूर्तियाँ बनाते हैं, जिनकी कीमत 700 रुपये तक होती है. अर्जुन बताते हैं कि इस धान की मूर्ति को धोया भी जा सकता है, फिर भी यह खराब नहीं होती. यह न तो सड़ती है और न ही टूटती है क्योंकि इसे बाँधने की खास तकनीक अपनाई जाती है.

देश-विदेश तक पहुँचाने का सपना
अर्जुन ने 12वीं तक पढ़ाई की है और अपनी इस कला को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि यह परंपरागत कला ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचे. उनका सपना है कि एक दिन उनकी बनाई मूर्तियाँ देश-विदेश में भी मशहूर हों. उनकी इस अनोखी कला ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया है और अब वे इसे बड़े स्तर पर पहुँचाने की तैयारी कर रहे हैं.